मगर हर चीज मुकम्मल करने के लिए जरूरत है तेरी। कभी मुहँ में उसका नाम तो कभी सिगरेट का साथ, भूल जब हो गई हमसे तो जो बनता था फाइन दे दिया �
मगर हर चीज मुकम्मल करने के लिए जरूरत है तेरी। कभी मुहँ में उसका नाम तो कभी सिगरेट का साथ, भूल जब हो गई हमसे तो जो बनता था फाइन दे दिया �